Sunday, September 26, 2010

Letters

I have nowhere to send these letters..
and no reason to believe that you wish to receive them...
I write them only for myself..
and thus I will hide them away, with all the things unsaid and undone between us...

Wednesday, September 22, 2010


जो लहरों से आगे नज़र देख पाती तोह तुम जान लेते मैं क्या सोचता हूँ ,

वो आवाज़ तुमको भी जो भेद जाती तोह तुम जान लेते मैं क्या सोचता हूँ |

जिद का तुम्हारे जो पर्दा सरकता ,खिडकियों से आगे भी तुम देख पाते ,

आँखों से आदतों की जो पलकें हटाते तोह तुम जान लेते मैं क्या सोचता हूँ |

मेरी तरह होता अगर खुद पर ज़रा भरोसा तोह कुछ दूर तुम भी साथ -साथ आते ,

रंग मेरी आँखों का बाँटते ज़रा सा ,तोह कुछ दूर तुम भी साथ - साथ आते ,

नशा आसमान का जो चूमता तुम्हे , हसरतें तुम्हारी नया जन्म पातीं ,

खुद दुसरे जनम में मेरी उड़ान छूने कुछ दूर तुम भी साथ - साथ आते |